साल में दो एकादशी पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) के नाम से जानी जाती है जो पौष (paush maas) व श्रावण महीने (Shravan maas) के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) में पडती है, इस दिन भगवान विष्णु (bhagwan vishnu) का पूजन किया जाता है, आइये जानते हैं पुत्रदा एकादशी का महत्व - Putrada Ekadashi Ka Mahatva-

पुत्रदा एकादशी का महत्व - Putrada Ekadashi Ka Mahatva
पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi ) के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है तथा भगवान की मूर्ति के पास जमीन में सोने का ही परम्परा है और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान देने के बाद ही व्रत पूरा किया जाता है ऐसी मान्यता है की व्रत को नियम पूर्वक रखने से ही नि संतान को भी संतान की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में शांति, समृद्धि और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है। जिन दंपतियों संतान नहीं है उनको संतान की प्राप्ति के लिए पौष और श्रावण शुक्ल पक्ष का एकादशी व्रत करना चाहिये। पुत्रदा एकादशी संतान देने वाली होती है । पूरे वर्ष के दौरान दो बार पुत्रदा एकादशी आती है।
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