हिंदू धर्म (Hinduism) में वर्ष के 365 दिन कोई न कोई व्रत और त्योहार (Fast and festival) होता है, जिसमें से कुछ पर्व और त्यौहारों को छोडकर सभी त्यौहारों में व्रत या उपवास (Vrat/Upvas) रखने का विधान है, आईये जानते हैं हिंदू धर्म में व्रत रखने का महत्व (Hindu Dharm Me Vrat/Upvas Rakhne Ka Mahatva) -

हिंदू धर्म में व्रत रखने का महत्व - Importance Of Fasting in Hinduism
व्रत या उपवास (Upvas) क्या हैै - What is fasting
जब आप किसी मनोकामना या उद्देश्य की प्राप्ति के लिये पूरे दिन अन्न या जल का त्याग करते हैं तो यह व्रत कहलाता है, व्रत का दूसरा अर्थ संकल्प (Determination) लेना भी होता है। यानि किसी लक्ष्य को सामने रखकर विशेष संकल्प के साथ लक्ष्य के पूरा होते तक किये जाने वाली क्रिया व्रत है।
व्रत नित्य, नैमित्तिक और काम्य भेद से तीन प्रकार के होते हैं -
- नित्य व्रत (Nitya Vrat) - नित्य व्रत में भगवान की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। सत्य बोलना, पवित्र रहना, इंद्रियों का निग्रह करना, क्रोध न करना, अश्लील भाषण न करना और परनिंदा न करना आदि नित्यव्रत के नियम हैं।
- नैमित्तिक व्रत (Naimittik Vrat) - किसी प्रकार के पाप से मुक्ति पाने के लिये यह व्रत रखा जाता है, इस व्रत को रखने के लिये विशेष दिन होते हैं।
- काम्य व्रत ( Kamya Vrat ) - किसी कामना पूर्ति जैसे पुत्र प्राप्ति, धन- समृद्धि या अन्य सुखों की की प्राप्ति के लिये रखा जाना व्रत काम्य व्रत कहलाता है।
व्रत के नियम - Rules Of Fasting
- व्रत के कई प्रकार केे नियम हैं लेकिन सबसे पहला नियम है कि व्रत में अन्न का त्याग करना जरूरी होता है किसी-किसी व्रत में अन्न के साथ जल का त्याग भी किया जाता है, कुछ व्रतों में आप फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन पेट भरने के लिये नहीं।
- व्रत में तामसिक भोजन जैसे मछली, अंडा, मॉस मदिरा आदि की बिलकुल मनाही होती है। व्रत में भूलकर भी इन चीजों का सेवन न करें।
- आप दूध से बनी चीजें खा सकते हैं।
- व्रत में नमक का सेवन भी नहीं किया जाता है। अगर आप चाहें तो सेंधा नमक खा सकते हैं।
- व्रत में ईश्वर का ध्यान भी जरूरी होता है।
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