ललिता पंचमी ( Lalita Panchami ) या उपांग ललिता व्रत ( Upang Lalita Vrat ) अश्विन माह में शुक्ल पक्ष ( Shukla Paksh ) कीनवरात्रि (Navratri)की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, ललिता पंचमी ( Lalita Panchami) गुजरात और महाराष्ट्र के साथ पूरे भारत भर में मनाया जाता है, ललिता देवी (Lalita Devi) , मॉ पावर्ती का ही एक रूप हैं, आईये जानते हैं ललिता पंचमी का महत्व Lalita Panchami Ka Mahatva -

ललिता पंचमी का महत्व Lalita Panchami Ka Mahatva
पुराणों के अनुसार जब सती माता अपने पिता दक्ष द्वारा अपमान किये जाने पर यज्ञ अग्नि में अपने प्राण त्याग देती हैं, तो भगवान शिव उनके शरीर को उठाये घूमने लगते हैं, ऐसे में धरती पर हाहाकार मच जाता है, जब विष्णु भगवान अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के देह को विभाजित कर करते हैं, भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें 'ललिता'के नाम से पुकारा जाने लगा। ललिता देेवी को त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसी मान्यता हैै कि ललिता मॉं दस महाविद्याओं (Dush Mahavidya ) में से एक हैं, नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजाकी जाती है, पांचवे नवरात्र के दिन माता स्कंदमाता (Devi Skandmata) की पूूजा के साथ ललिता पंचमी व्रत रखने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हाते हैं और मॉं ललिता का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
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