चैत्र मास (Chaitra Maas) के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की पंचमी (Panchami) को रंग पंचमी (Rang Panchami ) कहते हैं, उत्तरभारत में होली (Holi ) का त्यौहार फुलेरादुज (Phulera Duj) से ही शुरू हो जाता है जो कि रंग पंचमी (Rang Panchami) तक चलता हैं रंगपंचमी (Rang Panchami) को होली का अंतिम दिन माना जाता है, आईये जानते हैं - रंगपंचमी का महत्व - Rang Panchami Ka Mahatva
रंगपंचमी का महत्व - Rang Panchami Ka Mahatva
भारत में कई स्थानों पर होली के बाद रोजाना होली खेली जाती है, कहीं 5 दिन बाद तक और कहीं 7 दिन बाद तक रंगपंचमी (Rang Panchami) को होली का अंतिम दिन माना जाता है, कुछ स्थानों पर होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
खास तौर पर इंदौर में होली से ज्यादा रंगपंचमी का त्यौहार काफी पौराणिक है इतिहासकारों के अनुसार रंगपंचमी के दिन होलकर राजवंश के लोग पर आम जनता के साथ होली खेलने के लिये सड़कों पर निकलते थे. जिनमें हर तबके लोग सामूहिक रंगों के त्यौहार मनाते थे, इसी कारण आज भी रंगपंचमी पर शहर में रंगारंग परेड निकाली जाती है इसे रंगपंचमी गेर (RangPanchami Ger) या फाग यात्रा नाम से जाना जाता है। यहां की रंगपंचमी हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है वर्ष 2017 में इस रंगपचंमी गेर यानि जुलूस को 70 साल हो गये हैं। मथुरा और बरसाने की होली से ज्यादा होली का माहौल इंदौर में रंगपंचमी के दिन रहता है।
इस त्योहार के साथ जुड़े पौराणिक कथा है कि भगवान रामचंद्र फाल्गुन के महीने में अपने तेरह साल लंबे वनवास के दौरान चंदेरी को पार कर इस भूमि को पवित्र किया। इसी कारण, रंग पंचमी होली के पांच दिनों के बाद करीला की एक पहाड़ी के शीर्ष पर फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है।
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