चैत्र मास (Chaitra Maas) के कृष्ण पक्ष (krishna paksha) की एकादशी (Ekadashi) को पापमोचनी एकादशी कहते हैं, (Papamochani Ekadasi) पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadasi) में पाप का अर्थ अधर्म तथा मोचनी का अर्थ मुक्ति पाना माना जाता हैं ऐसा माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadasi) का व्रत रखने से सभी पापो का नाश हो जाता है तो आईये जानते हैं - पापमोचनी एकादशी का महत्व - Papamochani Ekadasi Ka Mahatva

पापमोचनी एकादशी का महत्व - Papamochani Ekadasi Ka Mahatva
पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है व्रत के दिन यह मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadasi) का व्रत एक दिन पहले दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरू करना चाहिए, एकादशी को सुबह जल्दी उठकर नहाधोकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष व्रत का संकल्प लेना चाहिये तथा पूरे दिन उपवास रखना चाहिये, अगर भूखे न रह सकें तो व्रत में फलाहार करना चाहिये।
भगवान विष्णु की पूजा करने से पहले भगवान को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित कर, विष्णु सहस्त्रनाम ( Vishnu Sahasranamam ) का जाप करना चाहिये और हो सके तो भगवत गीता का पाठ भी करना चाहिये कहते हैं साल भर में 24 एकादशी (Ekadashi) पडती हैंं पापमोचनी एकादशी भी इनमे मुख्य है
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