वैशाख मास (Vaisakha Maas) के कृष्ण पक्ष (krishna paksha) की एकादशी (Ekadashi) को वरुथिनी एकादशी कहते हैं, (Varuthini Ekadashi) वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashii) का व्रत सुख और सौभाग्य प्रदान करने वाला हैं वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashii) का व्रत रखने से सभी पापो का नाश हो और मोक्ष की प्राप्ति होती है तो आइये जानते है - बरूथिनी एकादशी का महत्व - Varuthini Ekadasi Ka Mahatva
बरूथिनी एकादशी का महत्व - Varuthini Ekadasi Ka Mahatva
ऐसा माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashii) का व्रत करने से किसी योग्य ब्राह्मण को दान देने, करोड़ों वर्ष तक तपस्या करने, के बराबर फल मिलता है'वरुथिनी'शब्द संस्कृत भाषा के 'वरुथिन्'से बना है, जिसका मतलब है- प्रतिरक्षक, कवच या रक्षा करने वाला वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashii) का व्रत भक्तो का हर संकट से रक्षा करता है
यह मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashii) का व्रत एक दिन पहले दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरू करना चाहिए, एकादशी को सुबह जल्दी उठकर नहाधोकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष व्रत का संकल्प लेना चाहिये तथा पूरे दिन उपवास रखना चाहिये, और एक समय भोजन करना चाहिये ।इस व्रत में तेलयुक्त भोजन नहीं करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा करने से पहले भगवान को पंचामृतसे स्नान कराना चाहिए। इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें ,
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