हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) बहुत महत्व होता है। आश्विन मास (Ashwin Month) में पडने वाली पूर्णिमा (Purnima) को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) कहते हैं। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima), रास पूर्णिमा (Raas purnima) और कुमार पूर्णिमा (Kumar Purnima) भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) का विधान है, आईये जानते हैं शरद पूर्णिमा का महत्व (Sharad Purnima Ka Mahatva)-

शरद पूर्णिमा का महत्व - Sharad Purnima Ka Mahatva
हिंदू पंचांग (Hindu calendar) के अनुसार हर हिंदी महीने (Hindi month) को चंद्रमा की कलाओं (Moon phases) के आधार पर 15-15 दिन के दो भागों में बॉटा गया है, 15 दिन के एक भाग को पक्ष (Paksha) कहा जाता है, महीने का पहला भाग जिसमें चंद्रमा बढता हुआ दिखाई देता है, वह शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) कहलाता है और उसका अंतिम दिन यानि 15 वां दिन पूर्णिमा या पूर्णमासी कहलाता है, इस प्रकार वर्ष में 12 पूर्णिमा होती हैंं।
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) ऐसी पूर्णिमा है जिस दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी को कौमुदी व्रत ( Kaumudi vrat ) भी कहते हैं। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं। इस दिन खीर बनाकर रातभर चांदनी में रखकर सुबह लक्ष्मी जी को भोग लगाकर खाने की मान्यता है।
शरद पूर्णिमा खीर रेसिपी (Sharad Purnima Kheer Recipe)
ऐसी मान्यता है कि धन की देवी माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन हुआ था। इसलिये शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) का विधान है, शरद पूर्णिमा के दिन रात में लक्ष्मी की पूूजा करने से और उनको खीर का भोग लगाने से मनुष्य की सभी मनोकानायें पूर्ण होती हैं, धन-सम्पत्ति और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कोजागरी पूर्णिमा का महत्व - Kojagari Purnima Ka Mahatva
कोजागरी (Kojagari) का अर्थ है कौन जाग रहा है, ऐसी मान्यता हैै कि कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima) की रात लक्ष्मी जी पृथ्वी पर भ्रमण करती है और यह देेखती हैं कि कौन व्यक्ति जाग रहा है और कौन नहीं, जो व्यक्ति कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima) अर्थात शरद पूर्णिमा की रात्रि जागरण कर माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं और जाग रहे होते हैं, उन पर माता लक्ष्मी अपनी कृपा करती हैंं और जो लोग सो रहे होते हैं, लक्ष्मी जी वहां नहीं ठहरती हैं।
रास पूर्णिमा का महत्व - Raas Purnima Ka Mahatva
हिंदू ध्ार्म के अनुसार शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) काे ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास लीला की थी, इसलिये इसे रास पूर्णिमा (Raas purnima) भी कहते हैं। ब्रज में आज भी शरद पूर्णिमा के दिन रासलीला का मंचन कर श्रीकृष्ण की लीलाओं का आनन्द लिया जाता है।
कुमार पूर्णिमा का महत्व - Kumar Purnima Ka Mahatva
भगवान शिव और भगवती पार्वती के पुत्र भगवान "कुमार कार्तिकेय"का जन्म भी शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) केे दिन ही हुआ था। इनकी पूजा मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिल नाडु में की जाती है, "कुमार कार्तिकेय"का जन्म होने के कारण शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को कुमार पूर्णिमा (Kumar Purnima) भी कहते हैं।
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