कार्तिक माह (Kartik Maas) में कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की चतुर्थी को करवा चौथ (Karva Chauth) कहते हैं। इस दिन करवा चौथ (Karva Chauth) और संकष्टी गणेश चतुर्थीएक ही साथ होते हैं। इस लिये इस दिन को बहुत महत्व (Mahatva) होता है, करवा चौथ का व्रत (Karva Chauth Ka Vrat) सुहागन स्त्रियो द्वारा किया जाता है। आईये जानते हैं - करवा चौथ का महत्व - Karva Chauth Ka Mahatva
करवा चौथ का महत्व - Karva Chauth Ka Mahatva
हमारे ध्ाार्मिक ग्रन्थों में इस व्रत का बडा ही महत्व बताया गया है। इस व्रत में करवा या करव (KARAV) अर्थात मिट्टी के पात्र में जल लेकर चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। इसीलिए यह व्रत करवा चौथ नाम से जाना जाता हैं। संकष्टी गणेश चतुर्थीहोने के कारण गणेश जी और चंद्रमा दोनों का व्रत किया जाता है। इस दिन पत्नी अपने पति की दीर्घायु के लिये मंगलकामना और स्वयं के अखंड सौभाग्य रहने कि कामना करतेे हुए निर्जला व्रत रखती हैं, इस व्रत में चंंद्रमा को जल का अर्घ्य दिये बिना ना तो पानी पिया जाता है और ना ही खाया जाता है।
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