मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष ( Shukla Paksh ) की एकादशी ( Ekadashi )तिथि को मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi ) करते हैं। मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi ) को गीता जयंती (Gita Jayanti) भी कहते हैं। मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi ) समस्त पापों का नाश करने वाली एकादशी ( Ekadashi )होती है, आईये जानते हैं मोक्षदा एकादशी एवं गीता जयंती का महत्व ( Mokshda Ekadashi Aur Gita Jayanti Ka Mahatva ) -

मोक्षदा एकादशी एवं गीता जयंती का महत्व - Mokshda Ekadashi Aur Gita Jayanti Ka Mahatva
एकादशी प्रत्येक माह में दो बार आती है यानि साल में 24 बार। विशेष मास में आने वाली दो एकादशी को जोड़ कर कुल 26 एकादशी होती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो मनुष्य मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) का व्रत रखता है उसके समस्त प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं, मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi ) का व्रत रखने वालेे व्यक्ति के पितरों का उद्धार हो जाता है। । मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) को भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) दामोदर की पूजा की जाती है।
मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष ( Shukla Paksh ) की एकादशी ( Ekadashi )तिथि को आज सेे लगभग 7000 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में कर्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए गीता का उपदेश (Geeta Ke Updesh) दिया था, इस कारण इस दिन को गीता जयंती (Gita Jayanti) के भी कहते हैं। इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिये।
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