जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार हिंदी महीनों के अनुसार भादों के महीने (Bhadon Month) में अष्टमी के दिन मनाया जाता है इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) महोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जन्माष्टमी का त्योहार (Janmashtami Ka Tyohar) भारत ही नहीं विदेशों में भी मनाया जाता है, इसे कृष्ण जन्मोत्सव (Shree Krishna Janmotsav) के नाम सेे भी जानते हैं - आईये जानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व - Shri Krishna Janmashtami Ka Mahatva -

जन्माष्टमी का महत्व -Janmashtami Ka Mahatva
हिंंदु धर्म के अनुसार लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) में भादों के महीने में अष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का जन्म (Birth of Lord Krishna) हुआ था कृष्ण जन्म भूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) मथुरा का एक प्रमुख धार्मिक स्थान है, जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन यहॉ देश-विदेश के लोग इकठ्ठे होते हैं अौर पूरे विधि-विधान से कृष्ण जन्मोत्सव (Shree Krishna Janmotsav) मनाते हैंं। श्री कृष्ण की मनोहारी छवि देखने लायक होती है।
इस दिन पूरे दिन फलाहारी व्रत (Falahari vrat) रखते है और रात्रि में 12 बजे कृष्ण जन्म मनाकर ही खाना खाते है, जन्माष्टमी (Janmashtami) वाले दिन सुबह से ही मंदिरो की साफ-सफाई करते है, वंदनवार (Vndnvaar) बाधते है बाल गोपाल जी (Laddu Gopal) की मूर्ति को दूध, दही से नहलाकर नई पोशाक व मुकुट और माला, मोरपंख, मुरली से श्राङ्गार भी करते है और जब रात 12 बजे भगवान का जन्म होता है, तब इसी प्रकार भगवान को नहलाकर श्रंगार करते है और पंजीरी (Panjiri), पंचामृत (Panchamrit)व मिगी पाग, नारियल पाग (nariyal pag)तथा फलोंं से भोग लगाकर आरती (Aarti) गाते है और भगवान को झूला झुलाते हुये "नन्द आनंद भयो जै कन्हइया लाल की"या अन्य बधाइयां गाते हैंं।
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