ब्रज (braj) में श्री कृष्ण (shri krishna) के बड़े भाई बल्देव (baldev) और दाऊजी महाराज (dauji maharaj) के नाम से प्रसिद्ध है दाऊजी महाराज का जन्मदिन (Lord Balram's birthday) भादो महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (sashti tithi) को बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ पूरे ब्रज मंडल (braj mandal) में मनाया जाता है, आइये जानते हैं बल्देव छठ का महत्व Baldev Chhath Ka Mahatva-

बल्देव छठ का महत्व - Baldev Chhath Ka Mahatva
दाऊजी महाराज के जन्मोत्सव की ख़ुशी में ब्रज में कई जगह मेलो का आयोजान किया जाता है इस मेले में दंगल (कुश्ती) का आयोजन मुख्य रूप से किया जाता है जिसमे देश- विदेश के पहलवान भाग लेते है, इसमें से एक मेला श्री दाऊजी महाराज उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस में आयोजित किया जाता है, इस मेले को 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं इसलिये यह लक्खी मेला भी कहलाता है, इसका आरंभ दाऊजी महाराज के जन्मोत्सव यानि बल्देव छठ (Baldev Chhath) दिन से किया जाता हैं।
बल्देव जी को, बलराम, बलदाऊ, दाऊजी, दाऊबाबा, हलधर और संकर्षण आदि नामों से जाना जाता है।
पुराणों के अनुसार भगवान दाऊजी देवकी माता के सांवते गर्भ के रूप में अवतरित हुए थे, लेकिन योगमाया ने संकर्षण विधि से बल्देव जी को देवकी के गर्भ से रोहिणी के गर्भ में पहुँचा दिया था, इसलिये इनका एक नाम संकर्षण भी है। श्री दाऊजी महाराज मल्ल विद्या के गुरु थे। साथ ही हल-मूसल होने के साथ वे 'कृषक देव'भी थे। आज भी किसान अपने कृषि कार्य प्रारम्भ करने से पहले दाऊजी महाराज को नमन करते हैं। कुछ जगह दाऊजी का जन्मदिन हल षष्ठी (Hal Sashti)के नाम से भी मनाया जाता है।
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