पौष माह (Paush Maas) में पडने वाली पूर्णिमा (Purnima) को पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) कहते हैं। पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) को शाकंभरी जयंती (Shakambari Jayanti) के रूप में भी मनाया जाता है, शाकंभरी जयंती (Shakambari Jayanti) के दिन देवी शाकम्भरी की पूजा का विधान है, आईये जानते हैंं - शाकम्भरी पूर्णिमा का महत्व (Shakambari Jayanti Ka Mahatva)-
शाकम्भरी पूर्णिमा का महत्व (Shakambari Jayanti Ka Mahatva)
देवी शाकम्भरी को दुर्गा का अवतार माना गया है मां के इस अवतार की एक कथा इस प्रकार है कि जब प्राचीन काल में पृथ्वी पर सूखा पड गया और सौ वर्ष तक वर्षा नही हुई तो चारो ओर सुखे के कारण हा-हाकार मच जाता है. पृथ्वी के सभी जीव पानी के बिना प्यास से मरने लगते हैं और सभी तथा सभी पेड़ पौधे वनस्पति सूख जाती है
इस संकट के समय सभी ऋषि मुनि एक साथ मिलकर देवी भगवती की आराधना करते हैं. अपने भक्तों की पुकार सुन कर देवी ने पृथ्वी पर शाकम्भरी नामक रूप में अवतार लिया व पृथ्वी को वर्षा के जल से सराबोर कर दिया इससे पृथ्वी पर पुन: जीवन का संचार हुआ ओर चारों हरियाली छा गई अत: देवी के इस अवतार को शाकम्भरी देवी के रूप में पूजा जाता है और इस दिन को शाकंभरी पूर्णिमा (shakambari purnima) या शाकंभरी जयंती (Shakambari Jayanti) के रूप में मनाया जाता है.
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