भाद्रपद महीने (Bhadon Month) की शुक्ल पक्ष (Shukla Paksh) की पंचमी तिथि (Panchami Tithi) को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) कहते हैं, ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) केे दिन सप्त ऋषि (Saptarishi) की पूूजा करने का विधान है, आईये जानते हैं - ऋषि पंचमी का महत्व (Importance of Rishi Panchami)
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ऋषि पंचमी का महत्व - Rishi Panchami Ka Mahatva
ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) केे दिन महिलाओं द्वारा सप्तऋषि (Saptarishi) की पूजा अर्चना की जाती है, हिंदू धर्म के अनुसार आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें सप्तऋषि तारा मंडल (Saptarishi Taramandal) कहा जाता है। इस तारामंडल (Taramandal) के तारों का नाम भारत के महान सात ऋषि वशिष्ठ (Vashishta), विश्वामित्र (Vishvamitra), कश्यप (Kashyapa), भारद्वाज (Bharadwaja), अत्रि(Atri) जमदग्नि (Jamadagni) और गौतम (Gautam) के नाम पर रखे गये हैं।
कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्नणन्त्वर्घ्यं नमो नमः॥
इस दिन किया जाने वाला व्रत ऋषि पंचमी व्रत (Rishi Panchami Vrat) कहलाता है। इस दिन सुबह स्नान कर साफ स्वच्छ वस्ञ धारण करने चाहिये, इसके बाद सातों सप्तऋषि (Saptarishi) की प्रतिमाओं को पंचामृतमें नहलाना चाहिए, इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूूर्जा अर्चना करनी चाहिये और मन्त्र के साथ अर्ध्य चढ़ाना चाहिए, इस व्रत में फलाहारी भोजनकरना चाहिये।
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